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सियासत
| बड़ा आर्टिकल
आईचौक
@iChowk
जस्टिस गोगोई की सियासी पारी के पहले शिकार कपिल सिब्बल!
जस्टिस रंजन गोगोई (Justice Ranjan Gogoi) ने राज्य सभा (Rajya Sabha MP) के लिए अपने मनोनयन को गैर राजनीति बताया था, लेकिन कपिल सिब्बल (Kapil Sibal) को लेकर उनका बयान आने के बाद किसी को ऐसी गलतफहमी नहीं रहनी चाहिये - पूर्व चीफ जस्टिस ने राजनीति में अपनी नयी पारी शुरू कर दी है.
सियासत
| बड़ा आर्टिकल
आईचौक
@iChowk
अयोध्या केस: सुप्रीम कोर्ट ने तो फैसला सुनाने से ज्यादा टालने का इंतजाम किया है!
2017 और 2019 के आम चुनाव के समय फेल हो चुकी अयोध्या मसले पर मध्यस्थता की कवायद एक बार फिर चल रही है, जिसका सुनवाई पर असर नहीं पड़ने वाला है - लेकिन लगता तो ऐसा ही है जैसे फैसला टालने का इंतजाम हो चुका है.
सियासत
| 7-मिनट में पढ़ें
मृगांक शेखर
@msTalkiesHindi
अब राम मंदिर समर्थकों को सुप्रीम कोर्ट से कोई शिकायत नहीं होनी चाहिये
सुप्रीम कोर्ट ने भी माना है कि अयोध्या विवाद किसी जमीन के टुकड़े का विवाद नहीं बल्कि लोगों की आस्था का मामला है. सुप्रीम कोर्ट की इस नयी टिप्पणी ने तो राम मंदिर समर्थकों की एक तरीके से शिकायत ही खत्म कर दी है.
सियासत
| 6-मिनट में पढ़ें
अनुज मौर्या
@anujkumarmaurya87
4 जजों की प्रेस कान्फ्रेंस ने क्या सालभर में सुप्रीम कोर्ट की अवमानना का डर हटा दिया है?
सुप्रीम कोर्ट और मुख्य न्यायाधीश पर सवाल उठाने से लोग डरते थे. कहीं न्यायालय की अवमानना न हो जाए. लेकिन 12 जनवरी 2018 को चार जजों की प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद से सब बदल गया.
सियासत
| 5-मिनट में पढ़ें
आईचौक
@iChowk
अयोध्या केस में 60 सेकंड में सुनवाई - 10 जनवरी के बाद फिर 'तारीख पे तारीख'
सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या केस की सुनवाई 10 जनवरी तक टाल दी है. इस मामले में सबसे दिलचस्प बयान आया है फारूक अब्दुल्ला की ओर से - मंदिर निर्माण की स्थिति में वो कारसेवा के लिए अयोध्या जाने को तैयार हैं.
सियासत
| 4-मिनट में पढ़ें
आईचौक
@iChowk
धारा 377 के तहत कल का 'अपराध', आज अधिकार है क्योंकि...
सुप्रीम कोर्ट ने LGBTQ समुदाय को नौ साल बाद फिर से खुशी लौटा दी है. 2009 में दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले के बाद सुप्रीम कोर्ट ने 2013 में खुद ही इसे अपराध करार दिया था, लेकिन अब इसे Right to Life जैसा माना है.
सियासत
| 5-मिनट में पढ़ें
मृगांक शेखर
@msTalkiesHindi
धारा 377 पर फैसला 'मौलिक अधिकार' और 'मानवीय पहलू' पर ही होगा
चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा को अपने कार्यकाल के आखिरी दिनों में जो फैसले सुनाने हैं, उन्हीं में से एक है - IPC की धारा 377 में समलैंगिकता का स्थान. देश की सबसे बड़ी अदालत को तय करना है कि समलैंगिकता को अपराध के दायरे में रखा जाये या नहीं?
सियासत
| बड़ा आर्टिकल
आईचौक
@iChowk
जस्टिस रंजन गोगोई CJI बन गए हैं - यानी अब लोकतंत्र खतरे से बाहर है
जस्टिस रंजन गोगोई देश के 46वें मुख्य न्यायाधीश बन चुके हैं. पहले तो हालत ये रही कि उनकी नियुक्ति को लेकर ही आशंकाएं जतायी जा रही थीं, लेकिन वे गलत साबित हुईं. सवाल ये है कि जजों की प्रेस कांफ्रेंस का इस नियुक्ति में कितना रोल रहा?
सियासत
| 4-मिनट में पढ़ें
मृगांक शेखर
@msTalkiesHindi
आधी रात को भी अदालत लगाने वाले चीफ जस्टिस के पास हैं - आधार और अयोध्या केस
दिल्ली पर फैसले के बाद जस्टिस दीपक मिश्रा की कलम से इंसाफ के दो मामले और आने वाले हैं - अयोध्या और आधार. अच्छी बात ये है कि जस्टिस दीपक मिश्रा के दरवाजे से कोई खाली हाथ नहीं लौटता, भले ही आधी रात का वक्त क्यों न हो.